"नदी" (रुबाइ)

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 "ज़माने को कभी हरगिज़,   समझ में आ नहीं सकता!   जो  डर  जाए  गुज़रने से,   वो मंजिल पा नहीं सकता!   ख़ुशी  और ग़म किनारे हैं,   नदी  है ...

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